
कुंभ, दुनिया में सबसे बड़ा लगने वाला धार्मिक मेला है जिसमें विश्वभर से लोग इस उत्सव को देखने और इसका अनुभव करने आते हैं। कल्पना से परे एक ऐसी जगह जहां लाखों लोग एकत्रित होते हैं। भक्ति और आध्यात्मिकता का संगम कुंभ को विशेष बनाता है। पवित्र नदी के किनारे दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक सभा का आयोजन होता है। यह वह समय होता है जब जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाने के लिए लोग मोक्ष प्राप्ति की कामना से कुंभ मेले में एक साथ आते हैं। भगवान के सामने अपना सब कुछ न्योछावर करते हुए मुक्त होने की इच्छा रखते हुए इस मेले में एकत्रित होकर भक्ति भाव के साथ इस उत्सव में शामिल होते हैं।
कुंभ मेला संभवत इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण है जहां कथा- कहानियां, मिथकों, आस्था और ज्योतिष एक साथ संबंध बनाते हैं ऎसे में इस मेले के बारे में जानना काफी रोमांचक बनाता है। ये एक त्यौहार से कहीं ज़्यादा है जिसमें मनुष्य खुद की वासनाओं से ऊपर उठते हुए कुछ अलग पाने की इच्छा रखता है।
कुंभ मेला सिर्फ़ एक आध्यात्मिक समागम से कहीं ज़्यादा है। यह संतों साधुओं की संस्कृति का उद्गम स्थल भी है। यहां अखाड़ा संस्कृति का जन्म हुआ है। आध्यात्मिकता को मार्शल आर्ट के साथ जोड़ने वाले साधु सन्यासी मठवासी हिंदू धर्म की शक्ति और विशालता का एक मज़बूत प्रमाण भी है। आदि शंकराचार्य जैसे संतों के ज्ञान और तप के प्राचीन सिद्धांतों पर आधारित अखाड़े धर्म के सिद्धांतों की रक्षा के लिए अनुशासन, एकता और साहस के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह सिर्फ़ भक्ति नहीं है बल्कि हिंदू संस्कृति का सार भी है जिसका प्रतिनिधित्व साधु संत, भिक्षु कुंभ मेले के दौरान करते हैं।
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